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शनिवार, 20 अक्तूबर 2018

शरद पूनम सुहानी

शरद का सुंदर नीलाकाश, निशा निखरी, था निर्मल हास'
बह रही छाया पथ में स्वच्छ, सुधा सरिता लेती उच्छ्वास,
पुलक कर लगी देखने धरा, प्रकृति भी सकी न आँखें मूंद;
सु शीतलकारी शशि आया'! सुधा की मनो बड़ी सी बूँद..❤🕉❤
सुधा की बूंद ने सुध बुध भुला दी...मधुर महारास की स्मृति जगा दी..हृदय मे राग उमडे अनसुने से.. थिरकते रोम पुलकित ..तुहिन कण से..

सोमवार, 17 सितंबर 2018

मधुमालती

मधुमालती का नेह दुर्लभ
 श्वेत रक्तिम रूप..
सृष्टि के आधार द्वय
खिलते.. मिले जब धूप