समय से यूं हूँ परे
फ़ॉलोअर
गुरुवार, 16 अगस्त 2012
राख
का
ढेर
है
तेरी
हस्ती
खोज
ले
आत्मा
में
ही
मस्ती
ह्रदय
की
घाटी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें