समय से यूं हूँ परे
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गुरुवार, 24 अक्टूबर 2013
सच
23 September 2013 at 16:56
सच अक्सर कड़ुवा होता है
दुनिया गोरख धंधा है
जिसे खोज हो सच की
वह केवल एकाकी बंदा है
जो चाहे जग से कुछ भी,
है हर दम दयनीय सदा ..
अपने अंतर्जग से सुरभित
आत्म रमण चयनीय सदा ..
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