कहने को तो प्रेम बहुत सरल है मगर दुनिया का सबसे कठिन विषय दुनिया भर के मनीषियों ने सहज रूप से शुरूआत करके इसे ईश्वर के चरणों तक पहुचा दिया मरे जैसा हलका फुलका कवि इस विषय को छूने का सामथ्र्य नहीं रखता फिर भी साहित्यकारो से सुना है त्याग तपस्या ही सच्चा प्रेम है सच्चे प्रेम की परिभाषा लिखने की बहुत बहुत बधाई
आत्मा का स्वाभाव ही बिना शर्त का प्रेम है ,सांसारिक सम्बन्ध प्रेम के शत्रु की तरह हैं क्योंकि वहां अपेक्षा है आशा है शर्त है पर शुद्ध प्रेम इनसे परे है व्यक्ति स्वयं नहीं जानता की यह प्रेम कब कैसे उसे आंदोलित कर देता है .... प्रकृति का प्रेम ही शुद्ध तम है जो शांत रह कर सबको जन्मती पोषित करती और अंत में मृत्यु के रूप में विश्राम देती रहती है
waah
जवाब देंहटाएंकहने को तो प्रेम बहुत सरल है
जवाब देंहटाएंमगर दुनिया का सबसे कठिन विषय
दुनिया भर के मनीषियों ने सहज रूप से शुरूआत
करके इसे ईश्वर के चरणों तक पहुचा दिया
मरे जैसा हलका फुलका कवि इस विषय को छूने का सामथ्र्य नहीं रखता
फिर भी साहित्यकारो से सुना है
त्याग तपस्या ही सच्चा प्रेम है
सच्चे प्रेम की परिभाषा लिखने की बहुत बहुत बधाई
आत्मा का स्वाभाव ही बिना शर्त का प्रेम है ,सांसारिक सम्बन्ध प्रेम के शत्रु की तरह हैं क्योंकि वहां अपेक्षा है आशा है शर्त है पर शुद्ध प्रेम इनसे परे है व्यक्ति स्वयं नहीं जानता की यह प्रेम कब कैसे उसे आंदोलित कर देता है .... प्रकृति का प्रेम ही शुद्ध तम है जो शांत रह कर सबको जन्मती पोषित करती और अंत में मृत्यु के रूप में विश्राम देती रहती है
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