समय से यूं हूँ परे
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गुरुवार, 24 अक्टूबर 2013
कृपा है
4 September 2013 at 13:17
कृपा है बनवारी की
कविता उनका खेल
रचते हैं ब्रहमांड अनंत
अपना उनसे मेल
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