गुरुगीत
5 September 2013 at 14:35
अन्धकार को दें मिटा,
दें प्रकाश मय ज्ञान,
गुण रूप से परे,
सिखलाएँ आत्मा का ध्यान
गुरु अगणित हरेक के,
बने शिष्य जो कोई माँ,
प्रकृति, बंधू, पिता, सखा स्नेहि हो कोई
गुरु बिन जीवन जड़ सदा,
चेतन ज्ञानी होए
आत्मध्यान में रत रहे
आत्मामय गुरु होए
दें प्रकाश मय ज्ञान,
गुण रूप से परे,
सिखलाएँ आत्मा का ध्यान
गुरु अगणित हरेक के,
बने शिष्य जो कोई माँ,
प्रकृति, बंधू, पिता, सखा स्नेहि हो कोई
गुरु बिन जीवन जड़ सदा,
चेतन ज्ञानी होए
आत्मध्यान में रत रहे
आत्मामय गुरु होए
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