समय से यूं हूँ परे
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गुरुवार, 24 अक्टूबर 2013
शिष्टाचार ..
27 August 2013 at 17:32
कौन चाहता है मिटे
जग से भ्रष्टाचार
दुःख मिले तब ही कहें
क्यों है भ्रष्टाचार
.सुख मिले तो कहें
यह है शिष्टाचार ..
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