समय से यूं हूँ परे
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गुरुवार, 24 अक्टूबर 2013
परम सुख
4 September 2013 at 11:20
प्रहार जब जब मिलें
तिलमिलाता है अहम्
अहम् हम को नचाता,
चोट खाता है अहम्
अहम् से मुक्त हों,
तत्क्षण परम सुख प्रकट
आत्म सुख अभ्यास से,
टूटती माया विकट
जय श्री राधे!
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