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सोमवार, 18 मार्च 2013








मैं सपने देखती हूँ इस जहां में कोई ऐसा छोर होगा
जहां भीड़ होगी और ही शोर होगा .
मधुर एकांत होगा और निर्भय शान्ति होगी
होगी भूख और प्यास होगी
तू होगा मैं , ही कोई संवाद होगा
धरा निशब्द होगी और गगन भी मौन होगा .


२५--०९

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