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शनिवार, 20 अक्तूबर 2018

शरद पूनम सुहानी

शरद का सुंदर नीलाकाश, निशा निखरी, था निर्मल हास'
बह रही छाया पथ में स्वच्छ, सुधा सरिता लेती उच्छ्वास,
पुलक कर लगी देखने धरा, प्रकृति भी सकी न आँखें मूंद;
सु शीतलकारी शशि आया'! सुधा की मनो बड़ी सी बूँद..❤🕉❤
सुधा की बूंद ने सुध बुध भुला दी...मधुर महारास की स्मृति जगा दी..हृदय मे राग उमडे अनसुने से.. थिरकते रोम पुलकित ..तुहिन कण से..

सोमवार, 17 सितंबर 2018

मधुमालती

मधुमालती का नेह दुर्लभ
 श्वेत रक्तिम रूप..
सृष्टि के आधार द्वय
खिलते.. मिले जब धूप

गुरुवार, 14 सितंबर 2017

रात रागिनी

बादलों ने रात संग इक तान  छेड़ी
 फूल महके  पत्तियां भी गुन गुना दीं
 रजनीगंधा मस्त थिरकी , बावली कोयल
कहीं से कुहू कुहाई ..
 सरसराती पवन गूँजी ..
मोगरे की धवल चितवन ,
साँस में उग आया मधुबन ..
 कुमुदिनी मुग्धा निहारे चाँद प्रियतम
 चांदनी ज्यूँ बांटती फिरती निमंत्रण
 अणु-परमाणु  रचाते  रास क्षण क्षण
कौन है जो अनोखे भाव भर कर
पल - पल करवा रहा प्रकृति का नर्तन ?
 कौन वीणा सी बजा झंकारता स्वर ?
 रूप अगणित, भाव अगणित,
वर्ण अगणित, राग अगणित
धिनक धिनक दिन
तिनक तिनक तिन,
  ध कि न कि नाका धिन,
 त तिन तिन धिन
सरर  सरर सर
मर्मर मर्मर
 गुन गुन गुन गुन
रुनझुन रुनझुन
 स्वर का संगम ताल झमाझम
 मद्दम मद्दम मंथर मंथर
अद्भुत नर्तन ,गायन वादन
पल पल क्षण क्षण
मधुर अलापन ..

13-14 sept 17


बुधवार, 29 मार्च 2017

मौन उर की प्यास



मौन धरती
          मौन अम्बर
                 मौन उर की प्यास
मौन में आनंद अनहद ,
                        मौन हैं वातास  !
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इश्क का मंज़र

जब खिलता है रूह में 
                   
     खुदाई इश्क का मंज़र 
                         शख्स महकने लगता है
                                                  हरेक के अंदर 


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केवल कृष्ण

जिसके मात्र स्मरण से ही हर संताप बिसर जाता है 
वह तो केवल एक कृष्ण हैं !

जिसकी स्वप्न झलक पाते ही 
हर आकर्षण बिखर जाता है 
जो सबके दुःख का साथी है 
सबका पालक, जनक, संहर्ता 
वह तो केवल एक कृष्ण हैं !

साक्षी सबके पाप पुण्य का,
न्यायमूर्ति सृष्टि का भरता,
वह अवतार प्रेम का मधु का,
अनघ, शोक मोह का हरता 
वह तो केवल एक कृष्ण हैं !