फ़ॉलोअर

गुरुवार, 14 सितंबर 2017

रात रागिनी

बादलों ने रात संग इक तान  छेड़ी
 फूल महके  पत्तियां भी गुन गुना दीं
 रजनीगंधा मस्त थिरकी , बावली कोयल
कहीं से कुहू कुहाई ..
 सरसराती पवन गूँजी ..
मोगरे की धवल चितवन ,
साँस में उग आया मधुबन ..
 कुमुदिनी मुग्धा निहारे चाँद प्रियतम
 चांदनी ज्यूँ बांटती फिरती निमंत्रण
 अणु-परमाणु  रचाते  रास क्षण क्षण
कौन है जो अनोखे भाव भर कर
पल - पल करवा रहा प्रकृति का नर्तन ?
 कौन वीणा सी बजा झंकारता स्वर ?
 रूप अगणित, भाव अगणित,
वर्ण अगणित, राग अगणित
धिनक धिनक दिन
तिनक तिनक तिन,
  ध कि न कि नाका धिन,
 त तिन तिन धिन
सरर  सरर सर
मर्मर मर्मर
 गुन गुन गुन गुन
रुनझुन रुनझुन
 स्वर का संगम ताल झमाझम
 मद्दम मद्दम मंथर मंथर
अद्भुत नर्तन ,गायन वादन
पल पल क्षण क्षण
मधुर अलापन ..

13-14 sept 17


बुधवार, 29 मार्च 2017

मौन उर की प्यास



मौन धरती
          मौन अम्बर
                 मौन उर की प्यास
मौन में आनंद अनहद ,
                        मौन हैं वातास  !
silent love pictures के लिए चित्र परिणाम

इश्क का मंज़र

जब खिलता है रूह में 
                   
     खुदाई इश्क का मंज़र 
                         शख्स महकने लगता है
                                                  हरेक के अंदर 


pics of ardhnarishwar के लिए चित्र परिणाम

केवल कृष्ण

जिसके मात्र स्मरण से ही हर संताप बिसर जाता है 
वह तो केवल एक कृष्ण हैं !

जिसकी स्वप्न झलक पाते ही 
हर आकर्षण बिखर जाता है 
जो सबके दुःख का साथी है 
सबका पालक, जनक, संहर्ता 
वह तो केवल एक कृष्ण हैं !

साक्षी सबके पाप पुण्य का,
न्यायमूर्ति सृष्टि का भरता,
वह अवतार प्रेम का मधु का,
अनघ, शोक मोह का हरता 
वह तो केवल एक कृष्ण हैं !

मैं सगर्भा

मैं सगर्भा, सार्गर्भा , ब्रह्म का विस्तार,
जीव की हूँ वासना तो विज्ञ का संसार ।

शक्ति का अवतार हूँ अस्तित्व का आधार 
धारिणी समभाव  की कर्षण करूँ अहंकार 

कामिनी हूँ 'काम' की हूँ जन्मति भी राम 
पुण्य रूपा   पापिनी  हूँ पुरुष का आयाम,

अग्नि-सी हूँ दाहका     पर देती हूँ विश्राम 
शव बना सकती हूँ 'शिव',माधुर्यमय घनश्याम 


रचनाकाल : 25 फ़रवरी 2009


adha akash hamara

pics of ardhnarishwar के लिए चित्र परिणाम

गुरुवार, 2 मार्च 2017

No automatic alt text available.


राधिका की सखी तेंतीस रूप,गुण में एक जैसी 
 दिव्य शक्ति जाग्रति से अनुभूति होती है ऐसी 

Image may contain: 1 person, standing, tree, plant and outdoor
गुनगुना के धुप बोली -गुनगुनालो साथ मेरे
            फुल बोले -महको थिरको ज़िन्दगी की जीत पे
                          बाजुओं में भर पवन बोली -गले मुझको लगा ले
                                         रूह मेरी फुसफुसाई -एक हैं हम, ज़मीन जन्नत एक कर लें Image may contain: flower, plant, nature and outdoor
ज़िन्दगी हूँ मैं कभी न हार सकती 
                  बीज थी,उड़ कर हवा के संग मट्टी में मिली
                                बह गयी जल संग,गहरे अंध घन में,
                                            ली फिर अंगड़ाई  खोज रास्ता नव
तोड़ दी चट्टान सूरज से मिलन को 
                     दी हवा ने शह और मैं मुस्कुरायी 
                                        पौध बन के फूल फिर से खिलाऊंगी 
Image may contain: tree, plant, outdoor and nature