बादलों ने रात संग इक तान छेड़ी
फूल महके पत्तियां भी गुन गुना दीं
रजनीगंधा मस्त थिरकी , बावली कोयल
कहीं से कुहू कुहाई ..
सरसराती पवन गूँजी ..
मोगरे की धवल चितवन ,
साँस में उग आया मधुबन ..
कुमुदिनी मुग्धा निहारे चाँद प्रियतम
चांदनी ज्यूँ बांटती फिरती निमंत्रण
अणु-परमाणु रचाते रास क्षण क्षण
कौन है जो अनोखे भाव भर कर
पल - पल करवा रहा प्रकृति का नर्तन ?
कौन वीणा सी बजा झंकारता स्वर ?
रूप अगणित, भाव अगणित,
वर्ण अगणित, राग अगणित
धिनक धिनक दिन
तिनक तिनक तिन,
ध कि न कि नाका धिन,
त तिन तिन धिन
सरर सरर सर
मर्मर मर्मर
गुन गुन गुन गुन
रुनझुन रुनझुन
स्वर का संगम ताल झमाझम
मद्दम मद्दम मंथर मंथर
अद्भुत नर्तन ,गायन वादन
पल पल क्षण क्षण
मधुर अलापन ..
13-14 sept 17
फूल महके पत्तियां भी गुन गुना दीं
रजनीगंधा मस्त थिरकी , बावली कोयल
कहीं से कुहू कुहाई ..
सरसराती पवन गूँजी ..
मोगरे की धवल चितवन ,
साँस में उग आया मधुबन ..
कुमुदिनी मुग्धा निहारे चाँद प्रियतम
चांदनी ज्यूँ बांटती फिरती निमंत्रण
अणु-परमाणु रचाते रास क्षण क्षण
कौन है जो अनोखे भाव भर कर
पल - पल करवा रहा प्रकृति का नर्तन ?
कौन वीणा सी बजा झंकारता स्वर ?
रूप अगणित, भाव अगणित,
वर्ण अगणित, राग अगणित
धिनक धिनक दिन
तिनक तिनक तिन,
ध कि न कि नाका धिन,
त तिन तिन धिन
सरर सरर सर
मर्मर मर्मर
गुन गुन गुन गुन
रुनझुन रुनझुन
स्वर का संगम ताल झमाझम
मद्दम मद्दम मंथर मंथर
अद्भुत नर्तन ,गायन वादन
पल पल क्षण क्षण
मधुर अलापन ..
13-14 sept 17
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (16-09-2017) को
जवाब देंहटाएं"हिन्दी से है प्यार" (चर्चा अंक 2729)
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक