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गुरुवार, 29 नवंबर 2012


 माधव



तुम मधु हो मैं मधुकर माधव,तुम सागर मैं एक लहर!
मुझ में तुम हो तुम में  मैं हूँ ,सपने सा है खेल मगर
हम दोनों तो एक सदा हैं,कोई आये कोई जाए .
जाने कितने चेहरे आय, कोई सताए  कोई लुभाए.
सारे झूठे !सारे छूटे! एक बस तू  ही साथ निभाये .
तुम मधु हो मैं मधुकर माधव तुम सागा मैं एक लहर
तुम सूरज मैं एक किरण हूँ तुम प्रकाश मैं तेज प्रखर
तेरा मेरा नाता एसा ज्यूँ हैं दिन में आठ प्रहर,
तुम मधु हो मैं मधुकर माधव,तुम सागर मैं एक लहर!

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