फ़ॉलोअर

गुरुवार, 8 अगस्त 2013

घास

 


मरती हूँ बार बार
जन्म नए लेती हूँ
रुन्दती हूँ आहत हो ...
प्राण वायु देती हूँ
Image may contain: 1 person, smiling, text

2 टिप्‍पणियां:

  1. घास की चिंता बस बरसात करती है
    दुनिया तो बस घास को बर्बाद करती है
    देती है जीवन मनुष्य को घास ही
    जीवो की चिंता भी रोज घास करती है

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रकृति पोषित कर रही हर एक को जानता न कोई इस भेद को

      हटाएं