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गुरुवार, 24 अक्तूबर 2013

साँचे मीत

साँचे मीत

23 October 2013 at 13:24

जो सुनते बिन वाणी,
                  साँचे मीत वही..
                       झूठी प्रीत ही मानें सच,
                                       सुनी-कही

3 टिप्‍पणियां:

  1. जो सुनते बिन वाणी,
    साँचे मीत वही.. sach sat pratisat

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  2. सच्चा मित्र चेहरे के भाव देखकर मित्र के दुख दर्द पहचान लेता है उसे कुछ समझाने की जरूरत नहीं
    होती, वाणी तो दुर की बात है
    मतलबी मित्रो से कुछ बोलना जैसे भैंस के आगे बीन बजाने जैसा होता है
    सच्चे मित्र जो होते हैं वो बहुत भले लोग होते हैं
    उनसे आप झूठा प्रेम भी जताते हो तो उसे सच्चा
    मानते हैं बहुत जल्दी आप पर विश्वास कर लेतें है
    ऐसे भोले भावुक ईश्वर रूप ही सांचे मीत होते हैं
    सभी मित्रों को कपट रहित मित्र मिले
    सुंदर भाव
    सुंदर लेखन के लिए बधाई

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  3. कहते हैं की मित्र ईश्वर का प्रतिबिम्ब होते हैं जो सच है .. सच्चे मित्रे दिव्या अनुकम्पा से ही मिलते हैं ..जिस के जीवन में सच्चे मित्र है वही भाग्यशाली है बाकी तो सब चार दिन की चांदनी है फिर अंधेरी रात है

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