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गुरुवार, 24 अक्तूबर 2013

यात्रा

यात्रा

9 October 2013 at 11:37

यात्रा गंतव्य है और यात्रा ही भावना ..
         यात्री ऐसे बनो मिट जाए सारी कामना ...
              क्यूँ भला हो फिर प्रतीक्षा आएगा मिलने कोई ?
                       जब मिला वह इस तरह मिल कर जुदा होता नहीं ..


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5 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय
    इसके लिए संत बनना पडेगा

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  2. आज कल सुयोग से अनेक वैज्ञानिक अध्यात्म विज्ञानं के क्षेत्र में शोध कर जीवन की शाश्वत स्थिति को सिद्ध कर रहे हैं जिन्हे यू ट्यूब पर सुना और अंतरजाल पर उनकी पुस्तकों को पढ़ा जा सकता है .. फ़्रांस के पत्रकार मिशेल देमार्के को वर्ष १९८७ में अन्य गृह थिअयुबा के लोग अपहृत कर के ले गए थे और उन्हें पदार्थ तथा अध्यात्म विज्ञानं का पूरा ज्ञान दिया ..पृथ्वी पर मनुष्य के भटकाव ने गृह के अस्तित्व को ही खतरे में डाल दिया है .... कोई भी उन्हें सुन सकता है michael desmarquet thiauooba के नाम से

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