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गुरुवार, 25 जुलाई 2013

क्षितिज मुस्काया


आज क्षितिज मुस्काया मेरा
आज उषा ने डाला डेरा
बादल छाये ,घिर -घिर आये ,
ढाँप क्षितिज शिशु रजनी सोयी
दामिनी कुपित होए शिशु रोये ,
अश्रु बहाए क्षितिज मेरा ..
बादल छटे ,लौट गयी रजनी ,
मिटा निराशा का अँधेरा ..
मुक्त हुआ ,मुस्काया अम्बर
आने को है सुखद सबेरा ..
आज क्षितिज मुस्काया मेरा ..
1985

Photo: BY Sergey Smirnov

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