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गुरुवार, 25 जुलाई 2013

मुक्त जीवन


क्या करूँ मैं ,
उस मिलन का
वासनाएं जो
 जगा दे
तू मुझे, विरहा ही दे
 जो
मुक्ति मय
 जीवन बना दे !

किस किस से पूछा, कहाँ - कहाँ  खोजा, मंदिर , मस्जिद, गिरजा -गुरुद्वारा'' कहाँ नहीं उसको पुकारा? किसी ने कहा तप करो, जलाओ वासनाएं जप करो, करो मन को शून्य, हो अहंकार का नाश, हो जाओ  सन्यासी' करो एकांतवास!  भिन्न-भिन्न, पथ पर चलते-चलते थक गयी, पाँव हुए भारी आँखें झपक गयी, शांत हुयी इन्द्रियाँ,मौन हुआ मन, तभी हाँ तभी अनन्त विश्रान्ति, के विलास में, छलके ज्योति कलश, प्रकाशित हो उठी दिशाएं, चमक उठी शिखाएं, गतिशील हुए स्पंदन सात्विक! अब भला कैसे टिकता तमस का उन्माद ? ह्रदय में बजने लगे अनहद नाद , आनन्दित ह्रदय के कोने  में एक साथ उतर आए ,सूर्य चन्द्र और तारे....अब सामने आलोकित- लोक था हमारे'' । शुभ-प्रभात मित्रों ! आप सबों का दिन मंगलमय'' हो ये है, शुभ कामना हमारी...ॐ !

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