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सोमवार, 15 जुलाई 2013

विगत

कहाँ गयी कोमल चंचलता उन मुस्काती आँखों की ?
गयी खो वह मोहक दृष्टि ,मूक किन्तु चपल संवादों सी .
आशा का स्थान निराशा ने आकर क्यों घेर लिया ?
नव उदित इंदु व पूनम को काली बदली ने भेद दिया .
पहले उठते,चलते ,फिरते तेरी ही छवि मुस्काती थी 
पलकों में खुलते -बंद सदा तेरा ही रूप समाता  था 
तन्द्रा में तुम ,जाग्रति में तुम निः श्वांसो में थे बसे हुए 
पहले जब -तब मिल जाते थे अब स्वप्नों से भी दूर हुए ..
1977
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