गिरेंगे हर सुबह कुछ फूल,इन पत्थरीली राहों में ,
मिलेंगे हर सुबह कुछ फूल,इन फूलों की राहों में,
कुचल जायेंगे कितने .. फूल.. पैरों के तले आके
पलों में कुछ ,....वे.मिलेंगे जायेंगे धूल में जा के
वे पत्ते चरमराते हैं......कि जैसे सर उठाते हैं ,
टहनियाँ सिहर जाती हैं कि जैसे काँप जातीं हैं
नयी जब रात आयेगी ....नए सिंगार लायेगी
नया मधुबन खिलेगा, फिर नयी सौगात आयेगी
1980
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें