मिटटी का ढेर था
सबसे अलग -थलग
अमन से पड़ा था .
किसी के उपकार से
वह सड़ गया
दुर्गन्ध से भर गया .
और उपयोगी हो गया .
एक खेत में उसे बिखेरा गया .
बीज डाले गए
इन कणों ने बीजों को
अपने में छिपा लिया
बीज का कणों से टकराव था
मिटटी तो मिटटी ही है
लेकिन बीज को भी मिट जाना पड़ा
और तब नए पौधे उग आये
हरे भरे जिनकी जड़ो के नीचे
असंख्य कण थे सौंधी मिटटी के
जिनका श्रम फलीभूत था
नन्हे हरे पौधों में .
1979
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