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मंगलवार, 16 जुलाई 2013

तपस्या


मिटटी का ढेर था 
सबसे अलग -थलग 
अमन से पड़ा था .
किसी के उपकार से 
वह सड़ गया 
दुर्गन्ध से भर गया .
और उपयोगी हो गया .
एक खेत में उसे बिखेरा गया .
 बीज डाले गए 
इन कणों ने बीजों को 
अपने में छिपा लिया 
बीज का कणों से टकराव था 
मिटटी तो मिटटी ही है 
लेकिन बीज को भी मिट जाना पड़ा 
और तब नए पौधे  उग आये  
हरे भरे जिनकी जड़ो के नीचे 
असंख्य कण थे सौंधी मिटटी के 
जिनका श्रम फलीभूत था 
नन्हे हरे पौधों में .
1979

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