समय से यूं हूँ परे
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बुधवार, 17 जुलाई 2013
अप्रत्याशित
न जाने कौन सा पल,
एक नया उपहार दे दे ..
न जाने कौन सा पल ,
कोई कडुवी याद दे दे ..
न जाने कितनी मंजिलें
हैं
हमारे रास्तों की ..
पता क्या कौन सी मंजिल
हमें कुछ साथ दे दे ..
1981
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