समय से यूं हूँ परे
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गुरुवार, 25 जुलाई 2013
सागर -मन
क्यूँ छलक रहीं शब्दों में
मन के सागर की लहरें ?
क्यूँ उमड़ -घुमड़ कर
अब भी ,आते तूफानी घेरे ?
मेरे आँगन के बादल ,
पानी मुझ पर बरसाते ,
मेरी बंजर धरती को ,
पर प्यास ही कर जाते ..
1982
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