प्राण मेरे गीत गाओ ,
तुम रिझाओ विश्व को ,
फिर तपो फिर और निखरो
तुम मनाओ ईश को !
त्याग कर मैले वसन ,
धारण करो नव वेष ,
हाथ थामों प्रेम का ,
अब भूल कर के द्वेष ,
हो सुखी -सानन्द अब ,
सुखमय बनाओं विश्व को ..
वह तुम्हारा ध्येय ,प्रेमी
प्रभु बसा है विश्व में ,
पास लाना है उसे तो ,
प्रेम पान है तुम्हे तो
पास लाओ विश्व को ,
प्रेम दो तुम विश्व को ..
प्राण मेरे गीत गाओ
तुम रिझाओ विश्व को ..
1985
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