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गुरुवार, 25 जुलाई 2013

दूर है


प्राण !
इतना तुम न बहको
दूर है मंजिल अभी ..
तुम
भटक जाना न फिर से ..
रात गहराती रही ..
प्राण मेरे !
हो के आहत भी अभी तुम
मृत्यु को मत चूम लेना ..
तुम अधर में झूल कर भी
छल भरी न प्रीति करना ..
प्राण मेरे !
दीप तू अपना जला ले .
तोड़ दे तममय
जगत की भ्रान्ति सारी
खोज पथ अपना ..
महिम अपने प्रणय का ..
टूटने दे स्वप्न पागल
जीवनी का ..
1983
Photo: Arches National Park in Utah.. Perfect Click !

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