समय से यूं हूँ परे
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मंगलवार, 16 जुलाई 2013
भय
देख पूनम का चाँद ,
अमा की बदली छाती है
चन्द्र किरणों की भी कटुता
ह्रदय को भेद जाती है
कभी तो बहता निर्झर भी
प्रलय का बादल लगता है
जल का कल -मल -छल भी
प्रलयंकारी स्वर लगता है ..
1980
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