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मंगलवार, 16 जुलाई 2013

समय


समय रुकता नहीं है मैंने सुना था 
पर एक दिन मेरी रफ़्तार 
समय से तेज़ हो गयी 
और मैं कुछ क्षण के लिए 
एक पल के साथ हो गयी।
हांफते हुए मुझे देख कर वह 
अट्टहास करने लगा ..
मुझे लगा कि सब कुछ थम गया है 
हाँ उसने यही बताया ,नहीं -दिखाया 
कि वह नहीं बल्कि हम दौड़ते हैं ,
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समयके भ्रम से घिरे दौड़ते रहते हैं 
और वह हमारे हर तरफ सदा रह कर 
अट्टहास करता रहता है .
हमें यत्र तत्र दौड़ा ,स्वयं विश्राम करता है 
चुप चाप समस्त सूत्र पात करता है 
वह कुछ नहीं करता ,नहीं कहता ,नहीं सुनता 
बस हमारे कहे शब्दों ,किये कर्मों को 
प्रतिध्वनित करता और प्रतिफलन करता है 
1980

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