जब भी गिरने लगी
आके थामा मुझे
तुमने गीत मेरे !
जब भी बहकी,
तुम्ही ने सहारा दिया ,
जब भी बहती हूँ ,
रोक लेते हो तुम .
जब भी प्रतिशोध
उमड़ा है मन में कभी
तुमने आकर नयी
सीख दी है सदा !
जब भी आक्रोश,
मुझ को निगलने लगा
आके तुमने ही
मुक्ति दी ,शान्ति दी .
आज भी, एक
तुम ही सहारे हो ,
है बफा क्या ,
तुम्ही ने सिखाया मुझे !
तुम से बढ़ कर
बफादार है कौन और,
जब भी भटकी
सदा प्यार मुझको दिया
जब भी गिरने लगी
आके थामा मुझे
तुमने गीत मेरे !
1983
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