तुझ सा मीत कहाँ से लाऊं ?
तुझ सी प्रीत कहाँ से पाऊं ?
तुझ से प्रेम तोड़ कर अच्युत ,
किस से प्रेम बढाऊं ?
प्रतिक्षण अंतर्मन से उद्भव जिसका,
दे जो महका तन -मन ,नव प्रभात
दे अंतर्मन को ,उस स्वर्णिम'दिनकर
से बढ़ कर, किस में ज्योति पाऊँ ?
बंजर सूखा जीवन -प्राङ्गण ,
सतत तृषित पत्थराई अवनि ,
आस त्याग श्यामल नीरद की ,
रस से सिक्त करे जो अवनि ,
किस से प्यास बुझाऊँ ?
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