समय से यूं हूँ परे
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बुधवार, 17 जुलाई 2013
वाह वाह
दुनिया के आगे
दिल के दुखड़े रोना
जैसे भैंस के आगे बीन बजाना
तभी तो जब कोई
दर्द भरे,शोक भरे गीत
गुनगुनाता है तो
श्रोता तालियाँ बजाते हैं
रंभाते हैं -वाह वाह वाह !
1980
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