समय से यूं हूँ परे
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बुधवार, 17 जुलाई 2013
इंसान
इंसान,
एक पुतला है
मदारी का जमूरा है
मदारी वक्त है
डोर परिस्थितियां
बंधा जिन से
नाचता ,उछलता
समझता खुद को
कभी महान ,कभी नादान
लेकिन कितना है
अनजान, खुद से ही
हर इंसान !
1981
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