कविता लिख जाए तो
शीर्षक नहीं मिलता .
सहस्त्रों भाव -वृन्दों के लिए
बंधन नहीं मिलता ..
अनेकानेक भावों का
कहीं संगम नहीं मिलता ..
अतिशय दूर तक विस्तृत
अर्थ वाले शब्दों का
एकल नहीं मिलता ..
एक बरसाती नदिया का
कभी उद्गम नहीं मिलता ..
कवित लिख जाए
तो शीर्षक नहीं मिलता..
1981
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