आज तुझको गीत,
मैं गाकर पुकारूं
तू बुरा मत मानना ..
आज मेरे मीत, कह कर भी पुकारूं
तू बुरा मत मानना ..
आज तुझको मैं अभी अपना रही हूँ
कल अगर मैं रूठ जाऊं, गीत मेरे !
तू बुरा मत मानना ..
आज तेरे प्यार की नाज़ुक नमी के भार से
झुक रही पलके कहीं कल सो भी जाएँ
तू बुरा मत मानना ...
मैं तुझे सपना समझ कर भी भुलाऊं गीत मेरे !
तू मुझे अपना ही कह कर, प्यार करना
तू बुरा मत मानना ..
1982
बहुत सुन्दर भावस्पर्शी रचना!
जवाब देंहटाएंकिशोर ह्रदय की कोमलता की अभिव्यक्ति है प्रशंसा हेतु हार्दिक आभार
हटाएंvery nice
जवाब देंहटाएंप्रशंसा हेतु हार्दिक आभार
हटाएंvery nce
जवाब देंहटाएं