प्राण मेरे !
खोजती हूँ
मैं तुझे ही
आज भी मैं हूँ
अपरिचित ,
विश्व में इस !
तू कहाँ जा
खो गया है
दिव्य मेरे !
आज भी
मैं तो तुझे ही
खोजती हूँ ..!
प्राण मेरे !
ज्ञात मुझ को,
भाव तेरा !
मैं स्वयं अज्ञात हूँ
सत्य है तू एक मेरा
मैं तो मिथ्या गात हूँ !
1982
v
खोजती हूँ
मैं तुझे ही
आज भी मैं हूँ
अपरिचित ,
विश्व में इस !
तू कहाँ जा
खो गया है
दिव्य मेरे !
आज भी
मैं तो तुझे ही
खोजती हूँ ..!
प्राण मेरे !
ज्ञात मुझ को,
भाव तेरा !
मैं स्वयं अज्ञात हूँ
सत्य है तू एक मेरा
मैं तो मिथ्या गात हूँ !
1982
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