अभी अभी एक ही पल में
सिर्फ इस पल के लिए ,
'मुझे भाग्यवादी बनना पड़ा है
कल तक, मेरे दरवाजे पे
खड़ा था भाग्य,पर मैंने
द्वार नहीं खोला था
द्वार नहीं खोला था
पर आज मुझे फेंक बाहर
वह अन्दर आ गया है
मैं दस्तक दे रही हूँ खड़ी खड़ी
एहसास होता है अपनी भूल का
कि कैसे घुस गया भाग्य
मेरे बुलंद दरवाजे में
मेरे बुलंद दरवाजे में
शायद जो खिड़की छोड़ दी थी
मैंने खुली हवा के लिए
मैंने खुली हवा के लिए
वही आज एकछत्र शासन
कर रही है मुझ पर
कर रही है मुझ पर
और मुझे मेरीठण्डी देह से टकराती
हवा का पाला मार गया है !
हवा का पाला मार गया है !
1979
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