समय से यूं हूँ परे
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गुरुवार, 25 जुलाई 2013
खोज
मैं फिर भटक न जाऊं
मेरे अनंत
प्रेमी !
तू क्रूर तो नहीं फिर
क्यूँ मूक हो गया है ?
कितना पुकारती हूँ ..
तू फिर भी खो रहा है ..
यूँ तो मैं तेरी हूँ ..
फिर भी भटक रही हूँ ..
तू छिप गया है क्यूँ कर ?
मैं खोजती फिरी हूँ ..
1983
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