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सोमवार, 15 जुलाई 2013

सत्य


सत्य के प्रेमी बता क्यों सत्य से घबरा रहा ?
क्या नहीं है सत्य वह जिस से बिंध तेरा ह्रदय ?
जिसने दिया अवसाद है जिससे मलिन तेरा ह्रदय ?
स्म्रतियां ही जिसके आकर तेरे रोंये उकसाती हैं 
तुझ को खो देती हैं अन्यतर जगत ले जाती हैं 
जिसकी छायाएँ दूर बहुत ,झकझोर ह्रदय को जाती हैं 
तेरी सारी निधियां चुन कर केवल कुछ अश्रु बहाती हैं 
वह सत्य बन सकेगा तेरा जब तू इतना स्वीकार करे 
है सत्य सदा सर्वत्र निहित उसका अभिवादन ह्रदय करे .
1979
vPhoto: Aurora Corona

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