देखा तुमने ,उड़ता बादल ?
वह लाल ,सुनहरा सा बादल
उड़ता जाता है आगे ही
ले साथ मेरा मन
यह फिर आएगा कभी यहाँ
बन कर पीला या फिर नीला
लेकिन पहचान सकेगा क्या इसको कोई ?
यह बदलेगा यह बदला है
मन भी तो उड़ता बादल है
उड़ता है फिर थम जाता है
नीले अम्बर ,गहरे सागर तक से
यह तिरता आता है
यह उडता है टकराता है
जल कण मुझ पर बरसाता है
यह बरसा है फिर बरसेगा
यह तरस है फिर तरसेगा
1979
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें