समय से यूं हूँ परे
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सोमवार, 15 जुलाई 2013
तुम
तुम एक किरण हो मेरे सूने आँगन की
तुम चन्द्र किरण मेरे लहराते सागर की
तुम मधुकण हो मेरे निर्गंध सुमन के
तुम अमृत कण मेरी इस रीती गागर के
1977
1 टिप्पणी:
mragendra
16 जुलाई 2013 को 4:08 am बजे
तुम एक किरण हो मेरे लहराते सागर की
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तुम एक किरण हो मेरे लहराते सागर की
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